परिचय - एक ऐसा रहस्यमय द्वार जहाँ से सूर्य उदय, सूर्य अस्त एवं रात्रि कालीन चन्द्रमा भी मनोरम दिखाई देता है। ॐ पर्वत पर यह द्वार अपनी सुन्दर आभा लिए आज भी पाषाण पत्थरों पर संघर्ष करते हुए खड़ा है। इसी द्वार को देखने आज भी लोग दूर दूर से आते है,तो आइये नर्मदा किनारे के मध्य से आज इसी द्वार के बारे में आपको अवगत कराते है।
ॐकार द्वीप (ओंकार पर्वत omkar Parvat)
चार वेदों 18 पुराणों और असंख्य शास्त्रों का मूल मन्त्र है ॐ । हमारे धर्म की नींव जिस मन्त्र पर पड़ी वह ॐ ही है । ॐ कि गूंज यूँ तो भारत के कण - कण में सुनाई देती है। लेकिन इसी भारत भूमि पर एक स्थान ऐसा भी है, जहाँ साक्षात् ॐ के ही दर्शन होते है । यह स्थान है भगवन शिव का पावन धाम पावन नगरी श्री ॐकारेश्वर धाम - जहाँ भारत की दो पवित्र और महान नदियाँ, नर्मदा और कावेरी दोनों मिलकर इस ॐ आकार के द्वीप की रचना करती है । इस स्थान पर ये दोनों नदियाँ आपस में मिलती है उसे नर्मदा कावेरी संगम भी कहते है । जैसा की नाम से ही स्पस्ट है की ॐ कार पर्वत जिसकी स्वयं की संरचना नर्मदा और कावेरी जैसी पवित्र नदियों से हुई है। ॐ कार पर्वत अपने आप में कई अनगिनत रहस्यों को समेटे हुए है। अगर हम हमारा सारा जीवन भी इन रहस्यों को खोजने में लगा दे तो भी कम पड़ जाये । आज हम इन्ही से जुडी हमारी संस्कृति और विरासत और उनके कुछ रहस्यों और महत्वों जानने आये है। इन्ही कारणों से राजा मान्धाता ने भी अपनी तपस्या के दौरान इसी स्थान को चुना होगा । अपनी तपस्या के दौरान उन्होंने यहाँ कई मंदिरों की स्थापना करवाई और भी कई रहस्यमय मंदिर है जिनके बारे जानने की उत्सुकता हर किसी व्यक्ति के मन में होती है। उसी में से एक है ओम्कारेश्वर का चाँद सूरज द्वार जो ॐकार द्वीप (ओंकार पर्वत omkar Parvat) पर स्थित है। ।
चाँद सूरज द्वार (chand suraj dwar)।
राजा मान्धाता के पुत्र राजा मुचुकुंच ने अपने महल निर्माण के दौरान 11 एसे द्वार बनवाए, जिसमे से चाँद सूरज द्वार मुख्य है। क्यूंकि यहाँ सूर्य की किरणे अपना पहला स्पर्श करती है। द्वार पर कई देवी देवताओं की मुर्तिया उत्कीर्णित है। मूर्तियों से द्वार की शोभा और भी बढ़ जाती है। चाँद सूरज द्वार(chand suraj dwar) ओम्कार पर्वत की उत्तर दिशा में स्थित है। इस द्वार के उत्तर की और ढलान है, जो रास्ता निचे होते हुए मेहँदी घाट और वही पर स्थित प्राचीन सूर्य मंदिर या धावली मठ तक जाता है । चाँद सूरज द्वार भारतीय पुरातत्व विभाग की देखरेख में है । यह द्वार सन 1893 में जीर्ण क्षिर्ण अवस्था में था । 1893 के पश्चात इस द्वार को भारतीय पुरातत्व विभाग की देखरेख में पुनः खूबसूरती से सृजन किया है । इसी वजह से आज हम इस द्वार को देख पा रहे है । और इसकी खूबसूरती को भी सूक्ष्म रूप से देख पा रहे है।
go to Photo Galleryहाथी पर बैठा व्यक्ति भी आसानी से निकल जाए।
यह द्वार इतना बड़ा(विशाल) है की इसमें से हाथी पर बैठा व्यक्ति भी आसानी से निकल जाए । और यही देख कर अनुमान लगाया जा सकता है की अपने समय में यह द्वार कितना महत्व रखता होगा । द्वार की उचाई लगभग 25 फिट से भी अधिक है और यही विशेषता इस द्वार को एक अलग पहचान देती है। यह द्वार इस क्षेत्र में सबसे विशाल है।
द्वार के दोनों ओंर है निशान।
द्वार के दोनों और निशान भी है जिन्हें देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि इस द्वार के दोनों साइड की दीवारों पर एक बड़ा सा दरवाजा होगा जिसे समय - समय पर खोला व् बंद किया जाता होगा ।
द्वार पर उत्कीर्ण है मूर्तियाँ
चाँद सूरज द्वार अपने आप में एक विशेष महत्त्व रखता है। इसी द्वार पर कई देवी देवताओं की मुर्तियाँ भी उत्कीर्णित की गई है। द्वार की दीवारों पर युद्ध कला , नृत्य कला और दक्षिण भारतीय कला, गणेश जी एवं देवी की मुर्तिया उत्कीर्णित है। इनमे से कुछ मुर्तियाँ खंडित है तो कुछ पूर्ण अवस्था में है । कुछ मुर्तियाँ उपरी हिस्सों में उत्कीर्णित है तो कुछ निचे दीवारों पर जिन्हें देखते ही रहने का मन करता है।
अष्टभुजा देवी
इस द्वार पर उत्कीर्ण की गई मूर्तियों से इसकी सुन्दरता ओंर अधिक बढ़ जाती है। चाँद सूरज द्वार की पूर्वी दीवार पर उत्कीर्ण है, अष्टभुजा वाली देवी माँ महिषासुरमर्दिनी की प्रतिमा जो आज जीर्ण क्षिर्ण अवस्था में है। प्रतिमा खंडित होने की वजह से स्पष्ट दिखाई नही देती है। इसके दोनों ओंर खंबे है, जो कलाकृतियों से परिपूर्ण है। दोनों खम्बों पर कलश भी उत्कीर्ण है। देवी प्रतिमा के एक हाथ में खप्पर एवं दुसरे हाथ में तलवार है, जो किसी का वध करते प्रतीत होती है
श्री गणेश प्रतिमा
इसी द्वार के पश्चिमी दीवार पर ठीक देवी प्रतिमा के सामने श्री गणेश जी की प्रतिमा विराजमान है। गणेश जी की प्रतिमा पूर्ण रूप से खंडित है। प्रतिमा के दोनों ओंर खम्बो पर कलाकृतियाँ उत्कीर्णित है एवं कलश की कारीगरी यहाँ भी देखने को मिलती है। प्रतिमा के ठीक उपर देवी प्रतिमा उत्कीर्ण है जो सुदर प्रतीत होती है।
श्री भद्रकाली या चामुंडा देवी।
ढलान की ओंर दक्षिणी दीवार पर सोलह भुजाओं वाली श्री भद्रकाली या चामुंडा देवी जिसे षोडसभुजा देवी कहते है। जो देखने पर कंकाली प्रतीत होती है। अपने पैरो से राक्षस को दबोचे दिखाई देती है, रेतीले पत्थरों की दिवार में एक छोटे कक्ष नुमा रचना में स्थित है, देवी प्रतिमा। प्रतिमा के दोनों ओंर खम्बों पर कलाकृतियाँ उत्कीर्णित है। जिनपर दोनों साइड दो द्वार पाल भी उत्कीर्ण है। इस प्रतिमा की ऊँचाई लगभग 11-15 फिट होगी।
द्वार के मध्य में कक्ष नुमा रचना।
जब हम इस द्वार में प्रवेश करते है, तो अंदर भी मन को आकर्षित करने वाली कारीगरी देखने को मिलती है। द्वार के मध्य में आमने-सामने कक्ष नुमा रचना है, जो लगभग 5 फिट अंदर और 7 फिट चौड़ी होगी। एक कक्ष पूर्ण खली है एवं दुसरे कक्ष में देवी देवताओं की प्रतिमा है।
ऊपरी मंजिल
इन्ही कक्षों के उपर सीडियों से रास्ता जाता है। जो उपरी मंजिल तक ले जाता है । यहाँ से उत्तरीय भाग का नजारा काफी मनोरम दिखाई देता है। मोरों की केका ध्वनि यहाँ से स्पष्ट सुने देती है। मोरों को यहाँ से आसानी से देखा जा सकता है। मोरों की केका ध्वनि मन को अकर्सित करती है । उपरी मंजील से ही एरंडी संगम , जैन तीर्थ सिद्धवरकूट भी स्पष्ट दिखाई देता है। उपरी मंजिल अनंत शोभायुक्त है। यहाँ पर भी दो खुले कक्ष है, जहाँ से चारों ओंर का नजारा देखने पर एसा प्रतीत होता है कि यही बैठकर शांत वातावरण और खुले आसमान को निहारते रहे।
उत्कीर्णित है कारीगरी ।
जी हाँ यह द्वार का मुख्य गुम्बज है, जो पूर्ण सुन्दर-सुन्दर कारीगरी से परिपूर्ण है। यही पर युद्धकला, नृत्य कला एवं भारतीय कला की मूर्तियाँ उत्कीर्णित है। मन की आँखे एक टक देखते ही रहती है। देखने का मन भी क्यों न हो यहाँ जो भी आता है, इन्हें निहारता ही रह जाता है। आप भी देखें इस फोटो में ।
उपरी गुम्बज।
चाँद सूरज द्वार का मुख्य उपरी गुम्बज शोभायमान है। इस उपरी गुम्बज पर सबसे अधिक कारीगरी देखने को मिलती है। जिसे उत्तर की ओंर से देखने पर कुछ एसा देखी देता है।
गुम्बज के निचे पाषाण पत्थरों से 4 हाथी निर्मित है, जिनमे से 1 हाथी सुरक्षित है बाकि के 3 हाथी झिर्ण-छिर्ण अवस्था में दिखाई देते है। इन्ही हाथियों पर टिका है उपरी हिस्से का पूर्ण भार।अंतिम पंक्तियाँ
चाँद सूरज द्वार (chand suraj dwar) के बारे में जो भी बताया है यह सब जानकारी हमने एकत्र की है। हम इस माध्यम से आपको इतनी जानकारी दे रहे है ताकि आप जब भी इन स्थानों पर पहुंचे आपके सब जानकारी मिले । अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो हमे comment में जरुर बताये। इस post की कुछ फोटो हमारे facebook page पर उपलोड की गई है आप वहां से देख सकते है । आप हमारे facebook page heritageintro से जुड़ सकते है।
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